Monday, January 7, 2019

Ehsaason Ke Darmiyan - First Blog post by Shivam

मैं शिवम् आपका स्वागत करता हूँ  "एहसासों के दरमियाँ" में.........
                     "एहसासों  के दरमियाँ" एक कोशिश है, ना सिर्फ मेरी भावनाओं, मेरी रचनाओं को आप तक पहुँचानें की, बल्कि आपके दिलों तक पहुंचनें की भी, दिलों तक पहुंचनें का मकसद इसलिए है क्यूँकि मैं ये चाहता हुँ कि जिस एहसास का अनुभव मुझे हुआ है वो एहसास आपके दिलों तक भी पहुँचें !
      जीवन में इंसान की स्वस्थ सोच की नींव तब तक संभव नहीं है जब तक की इंसान के एहसास उसके ज़ेहन में नहीं उतर जाते, ये बात और है कि हर किसी के एहसास एक से नहीं होते मगर वो जो भी होते हैं ज़िन्दगी की सच्चाई को ही बयाँ करते हैं, एहसास वो है जो इंसान की अंतर आत्मा से निकलते है और एक आध्यात्मिक सोच की उत्पत्ति का कारण बनते हैं !
          हाँलाकि मैं यह बात जनता हूँ की मुझे आध्यात्म का ऐसा कोई ज्ञान नहीं जो मैं आपको दे सकूँ लेक़िन मुझे इसका एहसास ज़रूर है जिसकी कोशिश मैं आप तक पहुंचने की कर रहा हूँ! यह कोशिश किसी लेख के द्वारा भी हो सकती है या कविता, शायरी आदि जैसी रचनाओं के माध्यम से भी हो सकती हैं !
                 मैं यह जनता हुँ कि मैं जो कर रहा हुँ उसे हमारे समाज मैं आज कोई विशेष महत्व नहीं दिया जाता, जिसका एकमात्र कारण है हमारा विदेशी संस्कृति को बढ़ावा देना ! ये आध्यात्मिक सोच हमारे समाज में तब तक जीवित थी जब तक हमारी शिक्षा प्रणाली गुरुकुल के माध्यम चला करती थी, लेकिन जब से हमारे समाज में विदेशी शिक्षा प्रणाली आयी है तब से आजतक हमारा देश गुलाम ही है भले ही आपको लगता हो की हमें आज़ादी 1947 मैं मिल गयी थी लेक़िन जो गुलामी हमारे विचार आज तक सह रहें हैं उसका क्या ?......आज हमारे समाज का नज़रिया गलत है..........  जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण यह है की हम सभी का मत इस बात को लेकर तो समान है कि आज की परीस्थिति बहुत ही गंभीर है, लेक़िन हम ये स्वीकार नहीं करना चाहते की हमारे शास्त्र, हमारी परंपरा, और हमारी संस्कृति सही है ! हम मन ही मन ज़रूर ये सोच लेंगें की हमारी संस्कृति आदि महान है लेकिन जब बात इसको अपनाने की आएगी तो सभी अपना कदम पीछे हटा लेंगें, वास्तविकता मैं यही कारण है हमारी आज की पतिस्थिति का !
                  यह सब कहते हुए ऐसा नहीं है की मुझे इस बात का ख्याल नहीं की परिवर्तन इस संसार का नियम है ! आज वैश्वीकरण का दौर है इसलिए मैं यह समझ सकता हूँ की हमारा किसी अन्य देशों के साथ हाथ मिलाना स्वाभाविक है जो की देश की तरक्की के लिए ज़रूरी भी है ! मैं जानता हूँ की पुरे विश्व को आपस मैं तालमेल बैठाने के लिए कई देशों के सामने चुनौती होती है अपनी परंपरा को बनाये रखने में लेकिन इसका यह अर्थ तो नहीं की हम अपनी ही संस्कृति को भुला बैठे......? मेरा मानना है की इन सारीं समस्याओं के पीछे सबसे बड़ा कारण हमारे देश की राजनीति है......... हालाँकि इसके अतिरिक्त कुछ साधारण सी चीज़े हम लोगों के पास भी है जिसका ज़्यादातर लोग बेपरवाही के साथ उपयोग कर रहें है, वो है हमारी ईमानदारी, हमारी सच्चाई, हमारा औरों के प्रति आचरण जो की हमारे वास्तविक पतन का कारण बन रहा है......... और इनसभी  बातों की कमीं सिर्फ इसलिए है क्यूंकि लोगो मैं एहसासों की कमी है ! यदि एहसास होंगे तो व्यक्ति गलत करना तो दूर उसकी सोच भी नहीं सकता !
            ऐसी ही कईं सारी बातें हैं जो मुझे मजबूर करती है आपलोगों के बीच इस तरह से आने के लिए........मैं नहीं जनता की मेरी यह पोस्ट किन-किन लोगों तक पहुँचती है पर मुझे उम्मीद रहेगी उन लोगों से जो मेरी इन बातों को सही समझते हैं, आपसे जितना भी हो सके अन्य लोगों तक पहुँचा कर मुझे व अपने समाज को सहयोग प्रदान करें .....धन्यवाद् !

    इसी के साथ मैं अपनी शुरूआती रचना को आपके सामनें रख रहा हूँ जो की यूट्यूब पर मेरे चैनल "Ehsaason Ke Darmiyan" पर पहले ही रिलीज़ हो चुकी हैं.......



एहसासों के दरमियाँ  लिख रहा हुँ मैं,
जज़्बातों के पन्ने खोल रहा हुँ मैं,
पलें हैं दिल की कैद में जो,
उन अल्फाज़ों को आज़ाद कर रहा हुँ मैं........

उस जहाँ को देख रहा हुँ मैं,
उस महफ़िल को देख रहा हुँ मैं,
अब तक हो न सकी जो हाँसिल,
उस मंज़िल को देख रहा हुँ मैं ! एहसासों के दरमियाँ.......

दिलों की बात कर रहा हुँ मैं,
धड़कनों की बात कर रहा हुँ मैं,
अब तक हो न सकी जो मुकम्मल,
उन हसरतों की बात कर रहा हुँ मैं ! एहसासों के दरमियाँ.......

उनकी हस्ती को देख रहा हुँ  मैं,
उनकी मस्ती को देख रहा हुँ मैं,
जानकर भी अनजान बनते हैं,
उनकी कश्ती को देख रहा हुँ मैं ! एहसासों के दरमियाँ.......

उसकी सुंदरता को देख रहा हुँ मैं,
उसकी उदारता को देख रहा हुँ मैं,
पर मिला है जिसे इसका सिला बुरा,
उस प्रकृति को देख रहा हुँ मैं ! एहसासों के दरमियाँ.......

उनकी शरारत को देख रहा हुँ मैं,
उनकी मासूमियत को देख रहा हुँ मैं,
बेखबर हैं जो इस दुनियाँ की हकीकत से,
उन बच्चों को देख रहा हुँ मैं ! एहसासों के दरमियाँ.......

उनके नज़रिये को देख रहा हुँ मैं,
उनके तज़ुर्बे को देख रहा हुँ मैं,
मिलती है जिनसे सिख सभी को,
उन बुज़ुर्गों को देख रहा हुँ मैं ! एहसासों के दरमियाँ.......

उसकी गंभीरता को देख रहा हुँ मैं,
उसकी सहनशीलता को देख रहा हुँ मैं,
देनी पड़ी है जिसे हमेशा से अग्निपरीक्षा,
उस नारी को देख रहा हुँ मैं ! एहसासों के दरमियाँ.......

उनके जज़्बे को देख रहा हुँ मैं,
उनकी शहादत को देख रहा हुँ मैं,
खोया है जिन्होंने अपनों को,
उन जवानों को देख रहा हुँ मैं ! एहसासों के दरमियाँ.......

उसकी इबादत कर रहा हुँ मैं,
उसकी पूजा कर रहा हुँ मैं,
लिया है जिसनें शिवम् के धैर्य का भी इम्तिहाँ,
उसके इन्साफ का इंतज़ार कर रहा हुँ मैं ! एहसासों के दरमियाँ.......

                                                               - शिवम्
              

Ehsaason Ke Darmiyan - First Blog post by Shivam

मैं शिवम् आपका स्वागत करता हूँ  "एहसासों के दरमियाँ" में.........                      "एहसासों  के दरमियाँ" एक क...